METHOD - HINDI
GROUP A
MARKS 2
1. अभिव्यक्ति कौशल क्या है?
अभिव्यक्ति कौशल वह क्षमता है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं और जानकारी को स्पष्ट रूप से मौखिक या लिखित रूप में प्रस्तुत करता है। इसमें बोलने, सुनने, लिखने और पढ़ने के कौशल शामिल हैं। यह संचार का एक प्रमुख साधन है।
2. उपलब्धि परीक्षण क्या है?
उपलब्धि परीक्षण किसी विशेष विषय या क्षेत्र में छात्र की सीखने की क्षमता और ज्ञान के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। यह परीक्षा छात्रों के शिक्षण परिणामों का मूल्यांकन करती है, जैसे - वार्षिक परीक्षा, अर्द्धवार्षिक परीक्षा।
3. भाषा और बोली में क्या अंतर है?
भाषा: मानकीकृत और व्यापक रूप से स्वीकृत संचार का साधन है। उदाहरण - हिंदी, अंग्रेजी।
बोली: भाषा का क्षेत्रीय रूप है जो विशेष समुदाय द्वारा बोली जाती है। उदाहरण - अवधी, भोजपुरी।
4. भाषा की परिभाषा लिखिए।
भाषा वह साधन है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को दूसरों के सामने अभिव्यक्त करता है। यह मौखिक और लिखित दोनों रूपों में होती है।
5. भाषाई कौशल के प्रकारों का वर्गीकरण कीजिए।
1.
सुनने का कौशल
2.
बोलने का कौशल
3.
पढ़ने का कौशल
4.
लिखने का कौशल
6. मापन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
मापन का अर्थ किसी वस्तु, ज्ञान या व्यवहार की मात्रा का संख्यात्मक रूप में आकलन करना है। शिक्षा में यह छात्रों की क्षमताओं, दक्षताओं और उपलब्धियों को मापने के लिए किया जाता है।
7. रचना शिक्षण के सोपान लिखिए।
1.
पूर्व तैयारी: विषय और उद्देश्य का चयन।
2.
विचार संग्रह: जानकारी एकत्र करना।
3.
रचना लेखन: प्रारंभिक लेखन।
4.
संशोधन: अशुद्धियों को सुधारना।
5.
प्रस्तुति: अंतिम रचना को लिखना।
8. वचन कितने प्रकार का होता है?
वचन दो प्रकार के होते हैं:
1.
एकवचन: किसी एक वस्तु या व्यक्ति का बोध कराता है।
2.
बहुवचन: एक से अधिक वस्तु या व्यक्ति का बोध कराता है।
9. वर्तनी अशुद्धि के प्रमुख कारण क्या क्या हैं?
1.
ध्वनियों का भ्रम: शब्दों का गलत उच्चारण।
2.
अनुशासन की कमी: व्याकरण के नियमों का पालन न करना।
3.
क्षेत्रीय प्रभाव: स्थानीय बोली का प्रभाव।
4.
शब्दों की जटिलता: कठिन शब्दों का गलत प्रयोग।
10. विश्वकोश से आप क्या समझते हैं?
विश्वकोश एक संदर्भ ग्रंथ है जिसमें विभिन्न विषयों की विस्तृत जानकारी वर्णानुक्रम में दी जाती है। यह ज्ञान का भंडार है और शोध के लिए उपयोगी होता है। उदाहरण - ब्रिटानिका विश्वकोश।
11. हिन्दी शिक्षण के प्रमुख दो उद्देश्यों का निर्धारण करें।
1.
संचार कौशल: हिंदी के माध्यम से सुनने, बोलने, पढ़ने और लिखने की दक्षता विकसित करना।
2.
साहित्यिक समझ: हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति रुचि और समझ विकसित करना।
12. हिन्दी शिक्षण में कहानी का क्या महत्व है?
1.
मानसिक विकास: कहानी के माध्यम से कल्पनाशीलता और सोचने की शक्ति का विकास होता है।
2.
मूल्य शिक्षा: कहानियाँ नैतिक मूल्यों को सिखाती हैं।
3.
भाषा विकास: नई शब्दावली सीखने में मदद करती है।
4.
रुचि जागृत करना: विद्यार्थियों में साहित्य पढ़ने की रुचि बढ़ती है
GROUP B
MARKS 5
1. कविता क्या है?
कविता एक साहित्यिक विधा है जिसमें भावनाओं, विचारों और अनुभवों को सुंदर, लयबद्ध और प्रभावी भाषा में व्यक्त किया जाता है। कविता में कल्पना, छंद, अलंकार, और शब्दों का संयोग होता है जिससे पाठक या श्रोता के मन में भावनात्मक और बौद्धिक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है। कविताएँ विभिन्न विषयों जैसे प्रकृति, प्रेम, वीरता, आध्यात्मिकता, और सामाजिक मुद्दों पर आधारित होती हैं। उदाहरण के लिए, महादेवी वर्मा की करुणा प्रधान कविताएँ या सूरदास की भक्ति कविताएँ मन को छूती हैं। कविता मनुष्य की संवेदनाओं और कल्पनाओं को निखारती है तथा उसकी चेतना को जागरूक करती है।
2. कविता शिक्षण का भाषा शिक्षण में क्या स्थान है?
1.
भाषा कौशल का विकास: कविता पढ़ने और लिखने से सुनने, बोलने, पढ़ने और लिखने के कौशल का विकास होता है।
2.
संवेदनशीलता और नैतिकता: कविताओं में मानवीय संवेदनाएँ होती हैं जो विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में मदद करती हैं।
3.
सृजनात्मकता: कविता रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रेरित करती है।
4.
सौंदर्यबोध: कविता में लय और छंद के माध्यम से विद्यार्थियों में सौंदर्यबोध विकसित होता है।
5.
व्याकरण ज्ञान: कविता में अलंकार, छंद और शब्द प्रयोग व्याकरण को व्यावहारिक रूप से समझने में सहायक होते हैं।
6.
विचारों की अभिव्यक्ति: विद्यार्थी कविता लेखन के माध्यम से अपनी भावनाओं और विचारों को रचनात्मक ढंग से व्यक्त करते हैं।
उदाहरण के रूप में, सुभद्राकुमारी चौहान की "झाँसी की रानी" कविता में राष्ट्रप्रेम और साहस का संचार होता है।
3. पाठ्य पुस्तक को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता को अपने शब्दों में लिखिए।
परिभाषा: पाठ्य पुस्तक वह पुस्तक है जो किसी विषय विशेष की पाठ्य सामग्री को क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत करती है। यह विद्यालयी शिक्षा के पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार की जाती है।
उपयोगिता:
1.
मानकीकृत सामग्री: सभी विद्यार्थियों को समान और व्यवस्थित जानकारी मिलती है।
2.
शिक्षण का आधार: यह शिक्षकों को पढ़ाने की दिशा प्रदान करती है।
3.
स्व-अध्ययन: विद्यार्थी अपनी समझ और गति के अनुसार पढ़ाई कर सकते हैं।
4.
पुनरावृत्ति और अभ्यास: प्रश्न और अभ्यास कार्य परीक्षा की तैयारी में सहायक होते हैं।
5.
संदर्भ स्रोत: यह विद्यार्थी और शिक्षक दोनों के लिए संदर्भ सामग्री के रूप में कार्य करती है।
6.
ज्ञान का विस्तार: पाठ्य पुस्तक विषय को सरल, रोचक और विस्तार से समझाती है।
4. ब्लू प्रिंट क्या है?
ब्लू प्रिंट किसी परीक्षा के प्रश्नपत्र का खाका होता है। यह प्रश्नों की संख्या, प्रकार, कठिनाई स्तर, और अंक विभाजन को निर्धारित करता है ताकि प्रश्नपत्र संतुलित और उद्देश्यपूर्ण हो।
विशेषताएँ:
1.
संतुलन: विषय के सभी भागों को समान महत्व देता है।
2.
विविधता: विभिन्न प्रकार के प्रश्न जैसे वस्तुनिष्ठ, लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय शामिल होते हैं।
3.
स्तरीकरण: आसान, मध्यम और कठिन स्तर के प्रश्नों का समावेश।
उदाहरण: हिंदी परीक्षा में 30% वस्तुनिष्ठ, 40% लघु उत्तरीय और 30% दीर्घ उत्तरीय प्रश्न होते हैं।
5. भाषा शिक्षण में सहायक पुस्तकों का क्या महत्व है?
1.
ज्ञानवर्धन: पाठ्य पुस्तकों के साथ सहायक पुस्तकें विषय की गहरी जानकारी देती हैं।
2.
शब्दावली का विस्तार: सहायक पुस्तकों से नए शब्दों का ज्ञान मिलता है।
3.
अतिरिक्त अभ्यास: इन पुस्तकों में दिए गए अभ्यास कार्य विद्यार्थियों की समझ बढ़ाते हैं।
4.
विषय की रोचक प्रस्तुति: कहानियों, उदाहरणों और चित्रों के माध्यम से विषय रोचक बनता है।
5.
पाठ्य सामग्री की विविधता: एक ही विषय को कई दृष्टिकोणों से समझाया जाता है।
6.
रुचि जागरूकता: विद्यार्थियों में साहित्य पढ़ने और सीखने की रुचि बढ़ती है।
6. माध्यमिक स्तर पर हिंदी शिक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डालें।
1.
भाषा कौशल का विकास: सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना।
2.
साहित्यिक अभिरुचि: विद्यार्थियों को हिंदी साहित्य की सुंदरता और महत्व का अनुभव कराना।
3.
व्यावहारिक ज्ञान: व्याकरण और शब्द प्रयोग का व्यावहारिक ज्ञान।
4.
रचनात्मक लेखन: निबंध, कविता और कहानी लेखन के माध्यम से सृजनात्मकता का विकास।
5.
संवेदनशीलता: मानवीय और नैतिक मूल्यों का विकास।
6.
सांस्कृतिक जागरूकता: हिंदी भाषा और साहित्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं को समझाना।
7. रचनात्मक लेखन विद्यार्थियों के लिए क्यों आवश्यक है?
1.
विचारों की अभिव्यक्ति: विद्यार्थियों को अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने का अवसर मिलता है।
2.
सृजनात्मकता का विकास: कल्पनाशीलता बढ़ती है।
3.
भाषा कौशल: व्याकरण, शब्दावली और लेखन कौशल में सुधार होता है।
4.
आत्मविश्वास का विकास: लेखन कार्य के माध्यम से आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास आता है।
5.
शोध की आदत: विचारों को स्पष्ट करने के लिए विद्यार्थियों में खोजबीन करने की प्रवृत्ति विकसित होती है।
8. शिक्षण शास्त्रीय विश्लेषण को अपने शब्दों में लिखिए।
शिक्षण शास्त्रीय विश्लेषण का अर्थ है शिक्षण प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं जैसे सामग्री, विधियाँ, रणनीतियाँ और शिक्षण उपकरणों का सूक्ष्म अध्ययन और मूल्यांकन। इसका उद्देश्य शिक्षण को प्रभावी और उद्देश्यपूर्ण बनाना है। यह शिक्षकों को बेहतर योजना और शिक्षण रणनीति तैयार करने में मदद करता है।
9. हिन्दी भाषा या विषय से संबंधित एक प्रश्नपत्र का प्रारूप तैयार कीजिए।
हिन्दी प्रश्नपत्र (100 अंक)
1.
पढ़ने का कौशल (20 अंक): गद्यांश आधारित प्रश्न।
2.
व्याकरण (20 अंक): विलोम शब्द, मुहावरे, संधि।
3.
साहित्य (30 अंक): काव्य और गद्य से प्रश्न।
4.
लेखन कौशल (20 अंक): निबंध, पत्र लेखन।
5.
लघु प्रश्न (10 अंक): वस्तुनिष्ठ प्रश्न।
10. हिन्दी शिक्षण में शिक्षण सहायक सामग्री का क्या महत्व है?
1.
अवधारणाओं की स्पष्टता: दृश्य और श्रव्य सामग्री से कठिन विषय आसानी से समझाए जाते हैं।
2.
शिक्षण को रोचक बनाना: शिक्षण सामग्री से विद्यार्थियों की रुचि बढ़ती है।
3.
याददाश्त में सुधार: चित्र, चार्ट और मॉडल से पाठ याद रखने में मदद मिलती है।
4.
सृजनात्मकता: विद्यार्थियों को नई चीजें बनाने और सोचने के लिए प्रेरित करती है।
5.
प्रयोगात्मक शिक्षा: शिक्षण सामग्री का प्रयोग व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है।
GROUP C
MARKS 10
1. कविता शिक्षण की पद्धतियों का सोदाहरण परिचय दीजिए
कविता शिक्षण भाषा शिक्षण का एक महत्वपूर्ण भाग है जो विद्यार्थियों में संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता और भाषाई कौशल को विकसित करता है। विभिन्न पद्धतियाँ हैं जो कविता शिक्षण को प्रभावी बनाती हैं:
1.
स्वर पाठ पद्धति:
कविता को शिक्षक स्वरों के उतार-चढ़ाव के साथ पढ़ता है ताकि कविता की लय, भाव और अर्थ स्पष्ट हो।
उदाहरण: सुभद्राकुमारी चौहान की कविता "झाँसी की रानी" को स्वरों के साथ पढ़ने से वीर रस का संचार होता है।
2.
स्पष्टीकरण पद्धति:
कविता की पंक्तियों का अर्थ और संदर्भ विद्यार्थियों को सरल शब्दों में समझाया जाता है।
उदाहरण: सूरदास की कविताओं में कृष्ण-भक्ति की भावना को उदाहरणों के साथ समझाया जाता है।
3.
भावात्मक पद्धति:
कविता के भावों को जीवन की घटनाओं से जोड़कर विद्यार्थियों में रुचि जागृत की जाती है।
उदाहरण: महादेवी वर्मा की "नीरजा" कविता में करुणा के भाव समझाना।
4.
वाचन पद्धति:
विद्यार्थियों से कविता का वाचन करवाया जाता है ताकि उनकी ध्वनि, लय और उच्चारण सुधर सके।
उदाहरण: बाल कविताएँ जैसे "चंदा मामा दूर के" को विद्यार्थी वाचन से सीख सकते हैं।
5.
रचनात्मक पद्धति:
विद्यार्थियों को कविता के आधार पर चित्रकारी, लेखन या नाट्य रूपांतरण जैसे कार्य दिए जाते हैं।
उदाहरण: "कोयल" कविता पर विद्यार्थी कोयल का चित्र बनाते हैं।
6.
विश्लेषणात्मक पद्धति:
कविता के छंद, अलंकार और शैली का विश्लेषण कर साहित्यिक समझ विकसित की जाती है।
उदाहरण: रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं में अनुप्रास अलंकार की पहचान।
2. प्रथम भाषा, द्वितीय भाषा एवं तृतीय भाषा की अवधारणा स्पष्ट करते हुए पश्चिम बंगाल में तृतीय भाषा के रूप में हिन्दी की स्थिति पर संक्षिप्त विचार व्यक्त करें
प्रथम भाषा: यह वह भाषा होती है जो व्यक्ति बचपन से सीखता है और उसकी मातृभाषा होती है। यह संचार का मुख्य माध्यम है।
उदाहरण: पश्चिम बंगाल में अधिकांश लोगों की प्रथम भाषा बंगाली है।
द्वितीय भाषा: यह भाषा मातृभाषा के बाद सीखी जाती है और सामान्यतः शैक्षिक व सरकारी कार्यों के लिए प्रयुक्त होती है।
उदाहरण: पश्चिम बंगाल में द्वितीय भाषा के रूप में अंग्रेज़ी पढ़ाई जाती है।
तृतीय भाषा: यह भाषा द्वितीय भाषा के बाद सीखी जाती है और आमतौर पर सांस्कृतिक, साहित्यिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पढ़ाई जाती है।
उदाहरण: पश्चिम बंगाल में तृतीय भाषा के रूप में हिन्दी का अध्ययन किया जाता है।
पश्चिम बंगाल में हिन्दी की स्थिति:
1.
पश्चिम बंगाल के अधिकांश विद्यालयों में हिन्दी को तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है।
2.
हिन्दी भाषा का महत्व बढ़ रहा है क्योंकि यह राष्ट्रीय स्तर पर संपर्क भाषा है।
3.
हिन्दी शिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों में भारत की विविध भाषाई और सांस्कृतिक एकता की समझ विकसित होती है।
4.
हिन्दी साहित्य और मीडिया के प्रसार ने हिन्दी भाषा को लोकप्रिय बनाया है।
3. अधिगम प्रारूप क्या है? अधिगम प्रारूप के सोपानों की चर्चा करते हुए इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालें
अधिगम प्रारूप शिक्षण की एक योजना है जो किसी पाठ को क्रमबद्ध तरीके से पढ़ाने की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है। यह शिक्षण और अधिगम को व्यवस्थित बनाता है।
अधिगम प्रारूप के सोपान:
1.
उद्देश्य निर्धारण:
शिक्षण का उद्देश्य स्पष्ट किया जाता है। उदाहरण: कविता शिक्षण का उद्देश्य भावनात्मक विकास।
2.
पूर्व ज्ञान का आकलन:
विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान की जानकारी ली जाती है।
3.
नवीन जानकारी की प्रस्तुति:
पाठ को रोचक तरीके से समझाया जाता है। उदाहरण: चित्र, कहानी या वाचन।
4.
विस्तार और उदाहरण:
विषय को जीवन के उदाहरणों से जोड़ा जाता है।
5.
अभ्यास कार्य:
गतिविधियों, प्रश्नों और अभ्यास कार्यों के माध्यम से सीखने की पुष्टि की जाती है।
6.
मूल्यांकन:
पाठ के अंत में मूल्यांकन किया जाता है ताकि विद्यार्थियों की समझ का आकलन हो सके।
विशेषताएँ:
1.
अधिगम प्रारूप शिक्षण को योजनाबद्ध और प्रभावी बनाता है।
2.
यह शिक्षकों को व्यवस्थित तरीके से पढ़ाने में मदद करता है।
3.
यह विद्यार्थियों को रुचिकर और सक्रिय शिक्षण अनुभव प्रदान करता है।
4. शिक्षण समाधान किसे कहते हैं?
शिक्षण समाधान वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शिक्षण में आने वाली समस्याओं की पहचान करके उनके उपयुक्त समाधान ढूँढे जाते हैं।
प्रमुख बिंदु:
1.
समस्या की पहचान: जैसे विद्यार्थियों की समझ का अभाव या पाठ्य सामग्री की कठिनाई।
2.
समाधान के उपाय: उचित शिक्षण विधियाँ, संसाधनों का उपयोग, और मूल्यांकन।
3.
कार्यान्वयन: समाधान के तरीके कक्षा में लागू किए जाते हैं।
4.
पुनर्मूल्यांकन: परिणामों की समीक्षा की जाती है।
5. शिक्षण संसाधनों के विशिष्ट प्रकारों का उल्लेख करते हुए हिन्दी शिक्षण में इनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए
शिक्षण संसाधन के प्रकार:
1.
श्रव्य संसाधन: रेडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग।
2.
दृश्य संसाधन: चार्ट, चित्र, मॉडल।
3.
श्रव्य-दृश्य संसाधन: टेलीविजन, वीडियो, प्रोजेक्टर।
4.
मुद्रित सामग्री: पुस्तकें, पत्रिकाएँ।
उपयोगिता:
1.
कठिन विषय को सरल बनाना: उदाहरण के लिए, हिंदी व्याकरण के नियम चार्ट से समझाए जा सकते हैं।
2.
रुचि जागृत करना: कहानियों के चित्र विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं।
3.
प्रयोगात्मक शिक्षण: मॉडल और वीडियो से कविता के भाव स्पष्ट होते हैं।
4.
सृजनात्मकता का विकास: संसाधनों का प्रयोग रचनात्मक लेखन और विचारों को प्रेरित करता है।